उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने संसद भवन परिसर में नवनिर्मित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया है। इस स्थल में भारत के प्रतिष्ठित नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं हैं जो पहले संसद भवन परिसर में विभिन्न स्थानों पर लगी हुई थीं।
इस पहल का उद्देश्य क्यूआर कोड जैसी आधुनिक तकनीक की आसान पहुंच और उपयोग के माध्यम से भारतीय इतिहास की इन प्रेरक हस्तियों के जीवन की कहानियों को यहां आने वाले आगंतुकों से साझा करके उनके अनुभव को बढ़ाना है।
श्री धनखड़ ने इस अवसर को प्रेरक और यादगार बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि उन्हें हमारे महान नेताओं को इस तरह से सम्मानित करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रेरणा स्थल पर आने वाले सभी नागरिक प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से ऊर्जावान और प्रेरित होंगे।
प्रेरणा स्थल पर पट्टिका के अनावरण के बाद, उपराष्ट्रपति ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ स्थल पर सभी मूर्तियों पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति डॉ. हरिवंश, श्री अश्विनी वैष्णव, श्री किरेन रिजिजू, श्री अरुण राम मेघवाल सहित कई केंद्रीय मंत्री उपस्थित थे।
‘प्रेरणा स्थल’ के उद्घाटन के बाद उपराष्ट्रपति के भाषण का पूरा टेक्स्ट इस प्रकार है –
“इस कार्य को मैं बहुत ही प्रशंसनीय कार्य मानता हूं। एक जगह ही महापुरुषों का दर्शन हो जायेंगे। उनके विचार, उनका व्यक्तित्व कितना हमें प्रभावित कर सकता है, यह मैंने आकर यहां देखा। प्रेरणा स्थल के बारे में सुना, सोचा, पर यह जमीनी हकीकत इस शानदार तरीके से होगा, यह देखकर मैं बहुत प्रभावित हूं।
मैं यह कह सकता हूं कि यह स्थल काफी प्रेरक है और जो भी यहां कुछ भी पल बिताएगा, भावों में इतना लीन होगा। अंदाजा लगाइए, भारत के इतिहास में इन महापुरुषों का क्या योगदान है। इन महापुरुषों को किस कालखंड में याद किया गया। ऐसी स्थिति मैंने सेंट्रल हॉल में देखी। 1989 में सांसद बना, उसके बाद उसका परिवर्तन निरंतरता से हुआ। आप अंदाजा लगाइए कि आजादी के कितने साल बाद डॉक्टर अंबेडकर को भारत रत्न मिला। मुझे गौरव प्राप्त है कि उस समय मैं केंद्रीय मंत्रिपरिषद का सदस्य था और लोकसभा का सदस्य था।
हमारे महापुरुषों की जितनी कद्र हम करें, कम है। आज का दिन उसी कड़ी के अंदर प्रेरणादायक भी है, सदा यादगार भी रहेगा। मेरे जीवन का यह पल है जिसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि मुझे यह मौका मिलेगा कि मैं इस तरीके से उन महापुरुषों का आदर कर सकूँ। महात्मा गांधी जी, अंबेडकर जी, महाराणा प्रताप जी, बिरसा मुंडा जी… नाम देखिए एक-एक और चौधरी देवीलाल जी जिन्होंने मेरा राजनीति मार्ग प्रशस्त किया। वहां देख कर तो मैं भावुक हो गया।
यह पल ऐसे हैं जब हर एक का व्यक्तित्व, इनकी जानकारी थी, पर यहां आकर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। मैं यह मान कर चलता हूं कि जो भी – हर वर्ग के बच्चों से लेकर, विद्यार्थियों से लेकर, नवयुवकों से लेकर- जो भी इस प्रेरणा स्थल पर आएंगे, वह बहुत अच्छी यादें लेकर जाएंगे। हमारे इतिहास को याद रखेंगे और यह बहुत ही प्रशंसनीय कार्य हुआ है। मैं उन सभी को साधुवाद का पात्र मानता हूं जिनके मन में यह सोच आई और वह सोच आज के दिन से वास्तविकता में परिवर्तित हो गयी ।”