डिजिटल कॉमर्स के दम पर आए बदलाव से एमएसएमई को मिला सबसे ज्यादा फायदा

Uttar Pradesh

लखनऊ UP / दो दशक पहले डिजिटल कॉमर्स का पदार्पण हुआ और एमएसएमई के संचालन का तरीका हमेशा के लिए बदल गया। अब नतीजा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है – रेडसियर की तरफ से एमएसएमई को लेकर जारी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 6.4 करोड़ एमएसएमई संचालन में है और इनमें से 12 प्रतिशत यानी करीब 77 लाख एमएसएमई डिजिटल रूप से सशक्त हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है

चाहे अर्थव्यवस्था बड़ी हो या छोटी, हर अर्थव्यवस्था में कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं, जो हमेशा चर्चा में रहती हैं। हालांकि चकाचौंध से दूर किसी भी देश के कारोबार का झंडा बुलंद करने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) ही होते हैं। पारंपरिक तौर पर पहले एमएसएमई की बाजार, टेक्नोलॉजी और फंड तक पहुंच सीमित हुआ करती थी। टेक्नोलॉजी या तो उनके काम की नहीं होती थी या फिर उस तक पहुंच मुश्किल होती थी। दूसरी ओर, फंड बहुत महंगे होते थे। नतीजतन ये उद्यम आकार में छोटे ही रह जाते थे और कभी अपनी स्थानीय सीमा से बाहर नहीं बढ़ पाते थे।

दो दशक पहले डिजिटल कॉमर्स का पदार्पण हुआ और एमएसएमई के संचालन का तरीका हमेशा के लिए बदल गया। अब नतीजा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है – रेडसियर की तरफ से एमएसएमई को लेकर जारी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 6.4 करोड़ एमएसएमई संचालन में है और इनमें से 12 प्रतिशत यानी करीब 77 लाख एमएसएमई डिजिटल रूप से सशक्त हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

बाजार तक पहुंच में हो रहा सुधार:
ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी को लोकतांत्रिक बनाने में अहम साबित हुए हैं। एक ओर जहां टेक्नोलॉजी की लागत कम हो रही है, वहीं यह लगातार बदल और बढ़ रही है। ऐसे में नई टेक्नोलॉजी को खरीदना हमेशा बहुत आसान नहीं होता है। इसी कमी को ईकॉमर्स पूरा कर देता है। यहां एमएसएमई को टेक्नोलॉजी तक पहुंच मिलती है, जिसे वे अपनी जरूरत के अनुरूप प्रयोग करने में सक्षम होते हैं। इसलिए उन्हें लगातार टेक्नोलॉजी में निवेश करने की जरूरत नहीं रह जाती।

लॉजिस्टिक्स की महंगी व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी भी ईकॉमर्स कंपनियां उठाती हैं, जिससे ज्यादातर एमएसएमई को बस अपने मुख्य परिचालन पर ध्यान देना होता है और उनका कारोबार बढ़ता है। ईकॉमर्स कंपनियों की तरफ से मिलने वाली डिजिटल टेक्नोलॉजी की मदद से एमएसएमई के लिए कारोबार का विस्तार करने के साथ-साथ इन्वेंटरी मैनेजमेंट से लेकर अकाउंटिंग एवं बिलिंग तक के रोजाना के काम करना भी संभव होता है।

बड़े फुटप्रिंट, टेक्नोलॉजी और लॉजिस्टिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच से एमएसएमई अब ज्यादा लोगों तक अपने उत्पाद पहुंचाने में सक्षम हुए हैं। ज्यादा बड़े बाजार तक पहुंचने की इस क्षमता से उनका राजस्व और लाभ बढ़ा है।

टेक्निकल सहयोग प्रदान कर रहे हैं और डाटा का पूरा लाभ उठा रहे हैं:
ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी के आने से परिचालन की दक्षता उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। बहुत से ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म ऑनबोर्डिंग की व्यापक प्रक्रिया और यूजर फ्रेंडली इंटरफेस प्रदान करते हैं। इन पर ऑनबोर्ड होने की प्रक्रिया बहुत आसान है, जिससे इंटरनेट बिजनेस की दुनिया में पूरी तरह से नए लोग भी आसानी से इसमें आगे बढ़ पाते हैं।

डिजिटल मार्केटप्लेस के इंटीग्रेशन से एमएसएमई को उपभोक्ताओं के व्यवहार से जुड़े महत्वपूर्ण विश्लेषण तक पहुंचने में मदद मिलती है, जिससे उनके लिए बाजार ट्रेंड और मांग के पैटर्न को समझना संभव होता है। ये डाटा इनसाइट्स जानकारी से भरपूर फैसले लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे एमएसएमई के लिए प्रभावी तरीके से उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने उत्पादों एवं सेवाओं में बदलाव कर पाना संभव होता है। इससे बर्बादी भी कम होती है और प्रभावी क्रियान्वयन एवं टेक्नोलॉजी का प्रयोग भी सुनिश्चित होता है।

लागत को न्यूनतम करते हुए बढ़ा रहे पहुंच:
ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स इन उद्यमों को ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर व संसाधनों तक पहुंच भी प्रदान करते हैं, जिससे लागत को न्यूनतम करने और कारोबार के विकास पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। वेयरहाउसिंग सॉल्यूशन से लेकर मार्केटिंग सपोर्ट एवं डिलीवरी तक ये प्लेटफॉर्म व्यापक सेवाएं प्रदान करते हैं, जिससे एमएसएमई को महंगे इन्फ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे उद्यम अपनी लागत कम कर पाते हैं। वर्किंग कैपिटल की जरूरत कम होने से ये उद्यम बाजार के ट्रेंड को अपनाने और बेहतर तरीके से परिचालन पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हो पाते हैं।

ब्रांड की विजिबिलिटी बेहतर होना भी एक बड़ा फायदा है, जो डिजिटल मार्केटप्लेस इंटीग्रेशन से मिलता है। ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स कंपनियों को रणनीतिक रूप से अपने ब्रांड्स को स्थापित करने, टार्गेटेड मार्केटिंग कैंपेन चलाने और ग्राहकों से सकारात्मक फीडबैक पाने में भी सक्षम बनाते हैं। अब कोई कहीं से भी मात्र एक क्लिक पर उनके प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज के लिए ऑर्डर कर सकता है। ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की मदद के बिना इस स्तर के परिचालन तक पहुंचने में उन्हें कई दशक का समय लग जाता।

सशक्त बना रहा है वित्तीय समावेशन:
ईकॉमर्स कंपनियों ने बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और कई अन्य कंपनियों के साथ गठजोड़ किया है, जिससे एमएसएमई के लिए क्रेडिट तक पहुंच आसान हुई है। कम डॉक्यूमेंटेशन की मदद से कंपनियां कम लागत पर फंड पाने और अपने उद्यम को गति देने में सक्षम हुई हैं। अब तक फंड नहीं मिल पाना उनके लिए बड़ी समस्या थी, क्योंकि बैंक आमतौर पर एमएसएमई को लोन देने में कतराते थे। ईकॉमर्स के समर्थन से अब एमएसएमई जल्दी और कम लागत में फंड पाने के लिए औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था तक पहुंच बनाने में सक्षम हुए हैं।

सामाजित विकास को भी मिली है गति:
अभी दूरदराज के क्षेत्रों में ईकॉमर्स ने पूरी तरह से पैर भले नहीं पसारे हैं, लेकिन वहां इनके असर को महसूस किया जा सकता है। ईकॉमर्स से दूरदराज के क्षेत्रों में जो नौकरियां पैदा हुई हैं, उनका परिवर्तनकारी प्रभाव डिजिटल इकोसिस्टम में स्थानीय लोगों के दृढ़ संकल्प और विश्वास की कहानी है।

ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म ने पारंपरिक शिल्प एवं उद्योगों को नया जीवन देकर और उनके लिए अवसरों की दुनिया खोलकर उन्हें पुनर्जीवित किया है।यह सामाजिक परिवर्तन सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है(साभार एजेंसी)

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