लखनऊ / आज प० दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान (SIRD) बक्शी का तालाब, लखनऊ में 21 वीं पशुगणना की तैयारी अंतर्गत देश के तीन राज्यों यथा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश एवं उत्तराखंड के राज्य / जनपदीय नोडल ऑफिसर्स को संयुक्त रूप से प्रशिक्षण प्रदान कर मास्टर्स ट्रेनर तैयार किया जाने हेतु इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के कुल 175 पशुचिकित्साविदों, संख्याधिकारियों, नोडल अधिकारियों द्वारा भारत सरकार, मत्स्य, पशुपालन मंत्रालय के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया। उक्त कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री, मा० धर्मपाल सिंह जी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पशुगणना के उपरान्त प्राप्त आकडों के विश्लेषण एवं तार्किक उपयोग से भविष्य की योजनाओं विभागीय नीतियों को बनाने एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में एवं पशुपालकों के हित में नई योजनाओ तथा पशुपालन के क्षेत्र में रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पूरे देश का सर्वाधिक पशुधन है। 2019 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख महिषवंश, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी एवं 4.09 लाख सूकर है। देश मे प्रत्येक 5 वर्ष के उपरान्त पशुगणना किये जाने है। वर्तमान में 21वीं पशुगणना की तैयारी चल रही है।
भारत सरकार द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सम्पूर्ण देश में एक साथ माह सितम्बर से दिसंबर 2024 के मध्य पशुगणना का कार्य किया जाना है। 21वीं पशुगणनासे प्राप्त होने वाले विस्तृत एवं विश्वास परक आंकड़े की नीव पर नीति निर्धारण से आने वाले समय में पशुपालन विभाग प्रगति के नए आयाम को प्राप्त करेगा। 21 वी पशुगणना हेतु भारत सरकार द्वारा पाँच राज्यों कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात व अरूणाचल प्रदेश को पायलट सर्वे हेतु चयनित किया गया है। मुख्य अतिथि द्वारा अपने संबोधन में पशुपालन को अजिविका का मुख्य स्त्रोत मानते हुए गुणवत्तायुक्त पशुधन उत्पादों की चर्चा के साथ वास्तविक पशुधन के आंकड़ों पर बल दिया गया। पशुधन विकास के चार प्रमुख आयाम उन्नत पशु प्रजनन, पशु स्वास्थ्य, पशु प्रबन्धन एवं पशु पोषण के क्षेत्र में समग्र प्रयास पशुधन के चहुँमुखी विकास का प्रमुख आधार सही गणना पर ही आधारित है अतः प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपयोगिता तथा सारथकता पर प्रकाश डाला। उक्त के साथ ही साथ गोवंश के समग्र विकास एवं दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु नवीन तकनीकी के समावेश पर बल दिया गय एवं सफल प्रशिक्षण हेतु आर्शिवचन से सिंचित किया गया। निदेशक, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र द्वारा समस्त गणमान्य व्यक्तियों, विभिन्न प्रदेशों से आये प्रतिभागियों के साथ-साथ इस कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने हेतु प० दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान के अधिकारियों/कर्मचारियों, पशुपालन विभाग, उ०प्र० के अधिकारियों/कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन विभाग, उ०प्र० के विभिन्न अधिकारियों डा० अरविन्द कुमार सिंह अपर निदेशक, गोधन, डा० जयकेश पाण्डेय, अपर निदेशक, नियोजन, डा० ए०के० वर्मा, अपर निदेशक, लघु पशु, डा० एम०आई० खान, संयुक्त निदेशक, सांख्यकीय, डा० संजीव शर्मा उप निदेशक, सांख्यकीय, डा० नीलम बाला, उप निदेशक / रजिस्ट्रार त्था निदेशालय पशुपालन विभाग, उ०प्र० लखनऊ के विभिन्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।